मुक्तक
खुद जलते हो विरह वेदना में, हमें भी जलाते हो,
रूठकर हमसे तुम भी अकेले में आंसू बहाते हो,
मिलकर चलते हैं राही,मंजिल समान हो जिसमे,
बेरुखी नाराजगी छोड़ो, हम दोनों ही नुकसान है इसमें!!!
खुद जलते हो विरह वेदना में, हमें भी जलाते हो,
रूठकर हमसे तुम भी अकेले में आंसू बहाते हो,
मिलकर चलते हैं राही,मंजिल समान हो जिसमे,
बेरुखी नाराजगी छोड़ो, हम दोनों ही नुकसान है इसमें!!!