मुक्तक
शब्दों में कैसे उनके अब अंगार आ गए,
अपने रहे ना अपने क्यों दरार आ गए
मोल मिट्टी के बिके रिश्ते तब बाज़ार में,
जब दोस्तों के वेश में ही खरीदार आ गए
शब्दों में कैसे उनके अब अंगार आ गए,
अपने रहे ना अपने क्यों दरार आ गए
मोल मिट्टी के बिके रिश्ते तब बाज़ार में,
जब दोस्तों के वेश में ही खरीदार आ गए