मुक्तक
गौर से सुन लो जुम्मे को इतवार बनाने आए हैं,
जीवन के पतझड़ को ये गुलजार बनाने आए हैं,
भूख गरीबी लाचारी खत्म करेंगे इन वादों से
फिर झूठे कुछ सपने देकर सरकार बनाने आए हैं
गौर से सुन लो जुम्मे को इतवार बनाने आए हैं,
जीवन के पतझड़ को ये गुलजार बनाने आए हैं,
भूख गरीबी लाचारी खत्म करेंगे इन वादों से
फिर झूठे कुछ सपने देकर सरकार बनाने आए हैं