मुक्तक
तीरगी अब तो हमें रोशनी सी लगती है
ज़िन्दगी आज हमें ज़िन्दगी सी लगती है
कैसे कह दूँ कि फरिश्ता है वो देखो उसको
उसकी फितरत तो हमें आदमी सी लगती है
तीरगी अब तो हमें रोशनी सी लगती है
ज़िन्दगी आज हमें ज़िन्दगी सी लगती है
कैसे कह दूँ कि फरिश्ता है वो देखो उसको
उसकी फितरत तो हमें आदमी सी लगती है