मुक्तक
” कब-कब इन आँखों से बरसी आँसू की बरसात न पूछो
जीती बाज़ी किस मौके़ पर हुई किस तरह मात न पूछो
बलिदानों की बुनियादों पर आज़ादी का भवन खड़ा है
अमर शहीद हुए हैं कितने ज्ञात और अज्ञात न पूछो ”
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” कब-कब इन आँखों से बरसी आँसू की बरसात न पूछो
जीती बाज़ी किस मौके़ पर हुई किस तरह मात न पूछो
बलिदानों की बुनियादों पर आज़ादी का भवन खड़ा है
अमर शहीद हुए हैं कितने ज्ञात और अज्ञात न पूछो ”
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