मुक्तक
” निर्भय हो बढ़ चले सभी जूझ पड़े तूफ़ान से,
रहे तिरंगा उड़ता नभ में यूं हीं ऊँची शान से,
यही कामना है मेरी माँ भारती पूरी कर देना,
लिख दूं मै इतिहास नया अपने ही बलिदान से “
” निर्भय हो बढ़ चले सभी जूझ पड़े तूफ़ान से,
रहे तिरंगा उड़ता नभ में यूं हीं ऊँची शान से,
यही कामना है मेरी माँ भारती पूरी कर देना,
लिख दूं मै इतिहास नया अपने ही बलिदान से “