मुक्तक
हैं दास्ताँ निराळी, दुनिया की दास्ताँ में,
यदि शँख में है जादू, तो रंग हैं अजाँ में
नादान हैं वो यारों जो जानते नहीं हैं,
मेरे वतन की ख़ुशबू ,फैली है इस जहां में,
हैं दास्ताँ निराळी, दुनिया की दास्ताँ में,
यदि शँख में है जादू, तो रंग हैं अजाँ में
नादान हैं वो यारों जो जानते नहीं हैं,
मेरे वतन की ख़ुशबू ,फैली है इस जहां में,