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18 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

सियासत की जो भी ज़बाँ जानता है
बदलना वो अपना बयाँ जानता है,
चलो हम ज़मीं के करें ख़्वाब पूरे
हक़ीक़त तो बस आसमाँ जानता है

Language: Hindi
385 Views
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