Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2019 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक-
यौवन जिसके साथ सदा ही ,करता है अठखेली।
यादों का मधुमास लिए वह ,बैठी निपट अकेली।
मिटा महावर चूड़ी टूटी , गला हुआ है सूना,
साजन बिना अभागिन का है,जीवन एक पहेली।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
लतिका
लतिका
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चलता रहेगा विश्व यह, हम नहीं होंगे मगर (वैराग्य गीत)*
*चलता रहेगा विश्व यह, हम नहीं होंगे मगर (वैराग्य गीत)*
Ravi Prakash
चला रहें शिव साइकिल
चला रहें शिव साइकिल
लक्ष्मी सिंह
मुझे
मुझे "कुंठित" होने से
*Author प्रणय प्रभात*
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
साल ये अतीत के,,,,
साल ये अतीत के,,,,
Shweta Soni
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
Ajad Mandori
हर खुशी को नजर लग गई है।
हर खुशी को नजर लग गई है।
Taj Mohammad
पर्यावरण प्रतिभाग
पर्यावरण प्रतिभाग
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
विजेता
विजेता
Paras Nath Jha
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
DrLakshman Jha Parimal
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
shabina. Naaz
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
_सुलेखा.
"साजिश"
Dr. Kishan tandon kranti
लू, तपिश, स्वेदों का व्यापार करता है
लू, तपिश, स्वेदों का व्यापार करता है
Anil Mishra Prahari
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
*बताओं जरा (मुक्तक)*
*बताओं जरा (मुक्तक)*
Rituraj shivem verma
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पेड़ पौधे (ताटंक छन्द)
पेड़ पौधे (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
दीवाली
दीवाली
Mukesh Kumar Sonkar
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
बम बम भोले
बम बम भोले
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ना कोई हिन्दू गलत है,
ना कोई हिन्दू गलत है,
SPK Sachin Lodhi
Loading...