मुक्तक
“धरती को जगमगाओ ,रौशन करो गगन को,
अपने लहू से सींचो ,इस प्यार के चमन को,
उनको निकाल फेंको , नफरतों जो बो रहे हैं,
सोने की चिड़िया कर दो फिर से इस वतन को “
“धरती को जगमगाओ ,रौशन करो गगन को,
अपने लहू से सींचो ,इस प्यार के चमन को,
उनको निकाल फेंको , नफरतों जो बो रहे हैं,
सोने की चिड़िया कर दो फिर से इस वतन को “