जुबाँ से कह न पाऊँगी
जुबाँ से कह न पाऊँगी,समझ लो आँखो की बोली।
जरा तुम ध्यान से देखो बनी है तेरी रंगोली।
समर्पण है समर्थन है मैं बनूँ हर जनम तेरी-
चले आओ सनम लेकर हमारे घर में अब डोली।
-लक्ष्मी सिंह
जुबाँ से कह न पाऊँगी,समझ लो आँखो की बोली।
जरा तुम ध्यान से देखो बनी है तेरी रंगोली।
समर्पण है समर्थन है मैं बनूँ हर जनम तेरी-
चले आओ सनम लेकर हमारे घर में अब डोली।
-लक्ष्मी सिंह