मुक्तक
मुक्तक
बुढ़ापे का सहारा जो रहीं ये लाठियाँ देखो
दुकानों पर सजी हैं किस तरह ये लाठियाँ देखो
बगावत आज तक इनको कभी करते नहीं देखा
पुलिस बरसा रही है किस तरह ये लाठियाँ देखो
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ
मुक्तक
बुढ़ापे का सहारा जो रहीं ये लाठियाँ देखो
दुकानों पर सजी हैं किस तरह ये लाठियाँ देखो
बगावत आज तक इनको कभी करते नहीं देखा
पुलिस बरसा रही है किस तरह ये लाठियाँ देखो
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ