मुक्तक
प्रेम की सारी संज्ञाएँ तुम्हारे नाम कर दूँगा ।
मैं अपने इश्क़ में तुझको छलकता जाम कर दूंगा ।
खुमारी इश्क़ की मेरे तिरे सर चढ़ के बोलेगी
महफिल-ए-इश्क़ में जाना मैं ऐसा काम कर दूंगा ।
प्रेम की सारी संज्ञाएँ तुम्हारे नाम कर दूँगा ।
मैं अपने इश्क़ में तुझको छलकता जाम कर दूंगा ।
खुमारी इश्क़ की मेरे तिरे सर चढ़ के बोलेगी
महफिल-ए-इश्क़ में जाना मैं ऐसा काम कर दूंगा ।