मुक्तक
खैरात नहीं हमें हमारा हक़ का तो दीजिए
जो हमारे हक का है बस उतना ही दे दीजिए
चंद सिक्के उछाल के मातमपुर्सी कर रहें हैं आप
हमारे हक़ पे अपने बापों को हक तो मत दीजिए !
(सिद्धार्थ)
खैरात नहीं हमें हमारा हक़ का तो दीजिए
जो हमारे हक का है बस उतना ही दे दीजिए
चंद सिक्के उछाल के मातमपुर्सी कर रहें हैं आप
हमारे हक़ पे अपने बापों को हक तो मत दीजिए !
(सिद्धार्थ)