मुक्तक ( क़ता )
साथ उसके रहने का ठिकाना मिला है ।
पल में सदियां जीने का बहाना मिला है ।।
ढूंढ रहा था एक मुद्दत से ज़माने में जिसे ।
दर पर उनके मुझे वो ज़माना मिला है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम
साथ उसके रहने का ठिकाना मिला है ।
पल में सदियां जीने का बहाना मिला है ।।
ढूंढ रहा था एक मुद्दत से ज़माने में जिसे ।
दर पर उनके मुझे वो ज़माना मिला है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम