मुक्तक (सीख)
कविता ऐसी हो जो हर कोई समझे सरलता से ,
तरन्नुम ऐसी हो जो हर कोई गा-पावे लय-ता से ,
कहे रसिया करो विन्यास ऐसा हर कोई समझे ,
हो लेखन ऐसा जो की अर्थ में आवे सुलभता से ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
कान्हा…….. ✍
कविता ऐसी हो जो हर कोई समझे सरलता से ,
तरन्नुम ऐसी हो जो हर कोई गा-पावे लय-ता से ,
कहे रसिया करो विन्यास ऐसा हर कोई समझे ,
हो लेखन ऐसा जो की अर्थ में आवे सुलभता से ।।
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कान्हा…….. ✍