“मुक्तक” : ( सबकी आशाएं…. )
“मुक्तक” : ( सबकी आशाएं…. )
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सबसे ही जुड़ी सबकी आशाएं हैं !
पूरी गर ना हों तो होती निराशाएं हैं !
सभी एक दूसरे का ख़्याल जो रखें…
तो खिलती सबकी मनोभावनाएं हैं ! !
©® अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 27 दिसंबर, 2021.
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