“मुक्तक”- (मैं अपने ही अस्तित्व को….)
“मुक्तक”- (मैं अपने ही अस्तित्व को….)
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मैं अपने ही अस्तित्व को टटोल रहा हूॅं !
अस्तित्व में ही खुद को भी ढूंढ़ रहा हूॅं !
दुनिया के किसी कोने में जगह पा लूॅं…
तो खुश़नसीब का दर्जा दिला रहा हूॅं !!
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 01-08-2021.
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