“मुक्तक” ( बारिश )
“मुक्तक” ( बारिश )
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बारिश इस कदर बरसी मानो आसमाॅं ही फट गया।
बिजलियाॅं इतनी ज़ोर कड़की कि डर से ही मर गया।
कितना मनोरम दृश्य है, इन्द्रधनुष निकले हैं गगन में,
कुदरत का सुंदर नज़ारा देख कर मज़ा ही आ गया।।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १०/०६/२०२१.
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