“मुक्तक”- ( बाज़ार में सरे आम बिकते हैं )
“मुक्तक”- ( बाज़ार में सरे आम बिकते हैं )
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जो चीज बाज़ार में सरे आम बिकते हैं !
उस चीज़ पर निगाहें कभी नहीं टिकते हैं !
एक बार जब इस पर से भरोसा उठ जाता !
कभी अपेक्षा पे ये खड़े नहीं उतरते हैं !!!!!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 08 सितंबर, 2021.
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