मुक्तक ::: बना रहे सम्बंध प्यारका::: जितेन्द्र कमल आनंद ( ११७)
मुक्तक
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बना रहे सम्बंध प्यार का शुभ दिन – राती ।
हम लिखते हैं स्नेहापूरित सबको पाती ।
बना रहे सहकार ,परस्पर हमसे – तुमसे ।
सबकी जाती ब्रह्म , कहो मत अपनी जाती ।।
श्रंगार छंद
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महकता सुमनों – सा हो प्यार ।
गूँजती मधुकर — सी गुंजार ।
अवनि का फूलों से श्रंगार ।
अतिथि का अनुदिन हो सत्कार ।।
—- जितेंद्रकमलआनंद