Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2021 · 1 min read

“मुक्तक”- बचपन की याद….

“मुक्तक”- बचपन की याद….
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

बचपन की याद मुझे जब आती है।
बचपन में ही मुझको ले जाती है ।
यूॅं ही बचपन को नहीं भूल सकता ,
इस उम्र में भी बचपन छा जाती है।।

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १८/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
7 Likes · 731 Views

You may also like these posts

आसान जिंदगी
आसान जिंदगी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हिम्मत और मेहनत
हिम्मत और मेहनत
Shyam Sundar Subramanian
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आदमीयत चाहिए
आदमीयत चाहिए
महेश चन्द्र त्रिपाठी
From I to We- Please Marry Me
From I to We- Please Marry Me
Deep Shikha
मुखौटा
मुखौटा
Vivek Pandey
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जग से जाने वालों का धन, धरा यहीं रह जाता है (हिंदी गजल)*
*जग से जाने वालों का धन, धरा यहीं रह जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
व्याकुल मन की व्यञ्जना
व्याकुल मन की व्यञ्जना
हिरेन जोशी
दोस्तों अगर किसी का दर्द देखकर आपकी आत्मा तिलमिला रही है, तो
दोस्तों अगर किसी का दर्द देखकर आपकी आत्मा तिलमिला रही है, तो
Sunil Maheshwari
मधुमास
मधुमास
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
किरत  कुंवरा  आपरी , इळ  मांहे  अखियात।
किरत कुंवरा आपरी , इळ मांहे अखियात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
Ranjeet kumar patre
सच की खोज
सच की खोज
Dr. Sukriti Ghosh
सुनो न...
सुनो न...
हिमांशु Kulshrestha
भोर
भोर
Deepesh purohit
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
कितने चेहरे मुझे उदास दिखे
Shweta Soni
हारने से पहले कोई हरा नहीं सकता
हारने से पहले कोई हरा नहीं सकता
कवि दीपक बवेजा
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में
Khalid Nadeem Budauni
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
शासकों की नज़र में विद्रोही
शासकों की नज़र में विद्रोही
Sonam Puneet Dubey
"इन्तजार"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
कामना-ऐ-इश्क़...!!
कामना-ऐ-इश्क़...!!
Ravi Betulwala
अपना गांव
अपना गांव
अनिल "आदर्श"
सच्चे कवि,सच्चे लेखक
सच्चे कवि,सच्चे लेखक
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हम भारत के लोग उड़ाते
हम भारत के लोग उड़ाते
Satish Srijan
आंखों में
आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
🙅आज का दोहा🙅
🙅आज का दोहा🙅
*प्रणय*
Loading...