“मुक्तक”– पल वो कितना अजीब था !
“मुक्तक”– पल वो कितना अजीब था !
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पल वो कितना अजीब था।
जब मैं उसके करीब था ।
दिन-रात देखता सपने ,
वो तो मेरा नसीब था ।।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १५/०६/२०२१.
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