“मुक्तक”- ( ज़िंदगी से कितनी आस…. )
“मुक्तक”- ( ज़िंदगी से कितनी आस…. )
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ज़िंदगी से कितनी आस तुम रखते हो !
रुक-रुककर एक-दो सीढ़ियाॅं चढ़ते हो !
और अगर मंज़िल तक नहीं पहुॅंच पाते ,
तो फ़िर औरों पर इल्ज़ाम तुम गढ़ते हो !
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 27-07-2021.
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