मुक्तक :– चूड़ियां ।।
मुक्तक :– चूड़ियां ॥
हरी या लाल पहनों तुम हमें हर रंग प्यारा है ।
भरे जौवन में तो इनका दहकता अंग प्यारा है ।
कभी ये रूठ जाती हैं कभी ये खिलखिलाती हैं ,
तुम्हारी चूड़ियों के बोलने का ढंग प्यारा है ।।
अनुज तिवारी “इंदवार”
स्वरचित