मुक्तक :– चाहतें महफिल में भी मुस्कान की प्यासी रही !!
मुक्तक :– चाहतें महफिल में भी मुस्कान की प्यासी रही !!
चाहतें महफिल में भी मुस्कान की प्यासी रही !
साँस ! मेरी हर पहर अहसान की प्यासी रही !
प्यार से जिसको नवाजा उम्र भर एक आस में ,
वो तो हमदम हमनसी शमशान की प्यासी रही !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”