मुक्तक चाँद में पिया को देखूँ
“माँ भारती”
ऐ चाँद तुझे बारि बारि देखूँ ।
अँधेरी राते पिया को तुझमें दखूँ।
तारे टिमटिमाते हँसी उड़ाते,
मुखड़े पे छायी उदासी देखूँ।।.
पलके झुकाऊँ कभी उठाऊँ।
कभी मनहिं मा गुनगुनाऊँ।
चाँदनी भूले अमवस्या का बिछुड़ना,
कभी अटारी बैठी घूँघटे सै झाकूँ।।.
अपने पिया को देशप्रेमी देखूँ।
जलती ज्वाला सा धधकता देखूँ।
माँ भारती के वीरों में गिनती,
युद्धभूमि में अरि का पीछा करते देखूँ।।.
स्वरचित
सज्जो चतुर्वेदी