“मुक्तक”– ( खेतों में हरियाली )
“मुक्तक”– ( खेतों में हरियाली )
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खेतों में बड़ी हरियाली है ,
सचमुच यहाॅं पे दीवाली है।
दीपों में नहीं है तेल व घी ,
यह तो फसल की ही बाली है।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १२/०६/२०२१.
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