मुक्तक :– ज्यामिति विद इंसानियत
मुक्तक :– ज्यामिति विथ इंसानियत
अधिककोण जैसे अकड़ोगे तो उल्टा गिर जाओगे !
न्यूनकोण से झुकने में आखिर कब तक शर्मओगे !
उल्टा-सीधा होने पर समकोण समझ में आयेगा ,
दृष्टिकोण से नज़र हटी तो जीवन भर पछताओगे !!
एक बिंदु में स्थिर हो कर जब तुम ध्यान लगाओगे !
मंजिल के रस्ते अक्सर सीधी रेखा में पाओगे !
त्रिकोण नहीँ चौकोण नहीँ जो कोने तक ही सीमित हो ,
बनना है तो वृत्त बनो तुम हरदम पूजे जाओगे !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”