Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2021 · 1 min read

“मुक्तक”- अरमां संग ले गई !

“मुक्तक”- अरमां संग ले गई !
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

तुम क्यों मुझसे यूॅं ही खफ़ा हो गई।
बीच राह में इस तरह ज़ुदा हो गई ।
तू साथ होती, बात कुछ और होती,
जीवन के सारे अरमां संग ले गई ।।

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १८/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
7 Likes · 342 Views

You may also like these posts

3451🌷 *पूर्णिका* 🌷
3451🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
घूँघट के पार
घूँघट के पार
लक्ष्मी सिंह
" झूमिंग "
Dr. Kishan tandon kranti
अवध मे राम आए है
अवध मे राम आए है
dr rajmati Surana
"गानों में गालियों का प्रचलन है ll
पूर्वार्थ
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
Indu Singh
हवा में खुशबू की तरह
हवा में खुशबू की तरह
Shweta Soni
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए "ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
सड़क सुरक्षा दोहे
सड़क सुरक्षा दोहे
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
चोखा आप बघार
चोखा आप बघार
RAMESH SHARMA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Arvind trivedi
*खूबसूरत ज़िन्दगी*
*खूबसूरत ज़िन्दगी*
शिव प्रताप लोधी
जनरल नॉलेज
जनरल नॉलेज
कवि आलम सिंह गुर्जर
जिंदगी गुज़र जाती हैं
जिंदगी गुज़र जाती हैं
Neeraj Agarwal
उसकी कहानी
उसकी कहानी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
तुम - हम और बाजार
तुम - हम और बाजार
Awadhesh Singh
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Ayushi Verma
चार लोग
चार लोग
seema sharma
कविता
कविता
MEENU SHARMA
■ संपर्क_सूत्रम
■ संपर्क_सूत्रम
*प्रणय*
खुन लिए
खुन लिए
Kunal Kanth
वक़्ते-रुखसत बसएक ही मुझको,
वक़्ते-रुखसत बसएक ही मुझको,
Dr fauzia Naseem shad
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
Anamika Tiwari 'annpurna '
तुम यानी मैं
तुम यानी मैं
शिवम राव मणि
स्वाभिमान
स्वाभिमान
अखिलेश 'अखिल'
अहंकार का पूर्णता त्याग ही विजय का प्रथम संकेत है।
अहंकार का पूर्णता त्याग ही विजय का प्रथम संकेत है।
Rj Anand Prajapati
मैं तो कवि हुँ
मैं तो कवि हुँ
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...