“मुक्तक”- अरमां संग ले गई !
“मुक्तक”- अरमां संग ले गई !
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तुम क्यों मुझसे यूॅं ही खफ़ा हो गई।
बीच राह में इस तरह ज़ुदा हो गई ।
तू साथ होती, बात कुछ और होती,
जीवन के सारे अरमां संग ले गई ।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १८/०६/२०२१.
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