“मुक्तक” (अधजल गगरी)….
“मुक्तक”…
“अधजल गगरी” पूरा भर लो।
अधूरे ख्वाब को पूरा कर लो।
मत बताओ दुखड़ा किसी को,
दूसरों का भी सारा दुख हर लो।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।
“मुक्तक”…
“अधजल गगरी” पूरा भर लो।
अधूरे ख्वाब को पूरा कर लो।
मत बताओ दुखड़ा किसी को,
दूसरों का भी सारा दुख हर लो।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।