“मुक्तक”(नारी और पुरुष)..
मुक्तक
नारी अब बहुत कम ही बची है।
ये अब, सिर्फ “नारा”हो गया है।
अच्छे पुरुष भी कम ही दिखते,
लगता ये सब बेचारा हो गया है।…..✍️
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।
मुक्तक
नारी अब बहुत कम ही बची है।
ये अब, सिर्फ “नारा”हो गया है।
अच्छे पुरुष भी कम ही दिखते,
लगता ये सब बेचारा हो गया है।…..✍️
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।