“मुक्तक”(जिंदगी)….
“मुक्तक”
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ये जिंदगी भी बड़ी ही अजीब है।
कोई अमीर है तो कोई गरीब है।
फिर भी दुख तो झेलता सब यहां,
जिसके जो अपने अपने नसीब है।….✍️
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।
“मुक्तक”
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ये जिंदगी भी बड़ी ही अजीब है।
कोई अमीर है तो कोई गरीब है।
फिर भी दुख तो झेलता सब यहां,
जिसके जो अपने अपने नसीब है।….✍️
स्वरचित सह मौलिक
पंकज कर्ण
कटिहार।