मुकरी छंद
कह मुकरी
हीरे मोती तन बिखराए
बालों में जाकर लिपटाए
जा कपोल पर मारे ठुमका
ए सखि साजन ?ना सखि झुमका!
कारी-कारी बदरी छाई
देख पिया के मन को भाई
देख कालिमा दिल है घायल
ए सखि बादल ?ना सखि काजल!
रूप सलौना खूब सजाते
श्याम भ्रमर मन को अति भाते
स्वप्न दिखाकर जागे रैना
ए सखि साजन?ना सखि नैना!
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’