मुकम्मल हो नहीं पाईं
मुकम्मल हो नहीं पाईं
अधूरी सी मुलाकातें।
बिना बरसात के बरसीं
मिरी आंखों से बरसातें।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
मुकम्मल हो नहीं पाईं
अधूरी सी मुलाकातें।
बिना बरसात के बरसीं
मिरी आंखों से बरसातें।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद