मुकम्मल होने से रहा वो प्रेम ————–
मुझे नहीं पता तुम्हें याद है भी या नहीं , पर 4 साल होने को है । उस लम्हे को जब मैंने अपना पूरा साहस बटोरकर तुमसे अपनी दिल की सारी बातें बयां कर देने का प्रयत्न किया था । मगर , तुम बगैर मेरी बात सुने आगे बढ़ गई । शायद वो वक़्त ग़लत था या जगह या मैं ! पर कुछ तो ग़लत था , वरना तुम वहां से बगैर कोई प्रतिक्रिया दिए ख़ामोशी से नहीं जाती । फिर अचानक एक दिन फेसबुक पर तुम्हारा फ्रेंड रिक्वेस्ट आया मैं खुशी से उछल पड़ा था । फिर बात शुरू हुई । तुमने मुझे पागल कहा था , तुम सच ही तो कह रही थी हम सच मे पागल ही है तुम्हारे प्यार में ।
कहने को तो पूरे चार साल हो गए हैं । पर लगता है जैसे अभी कल ही रात की ही बात हो । दिसम्बर की ऐसी ही सर्द जाड़े की रात थी । याद है तुम्हें ? मेरे सेमेस्टर एग्जाम्स शुरू होने वाले थे । सुबह पेपर था और मैं हमेशा की तरह रात के 2 बजे तक ऑनलाइन था । मुझे ऑनलाइन देख तुमने हमेशा की तरह वही सवाल पूछा था । ‘ कौन है वो जिसके लिए तुम पागल हो ? तुम्हारा पहला प्यार न ? होमवर्क वो नहीं करती और बदले में बने होने के बावजूद बनाया नहीं कहकर मार तुम भी खाते , ताकि तुम्हें भी उसका दर्द महसूस हो । बताओ न कौन है वह आख़िर ? ‘ मैं क्या कहता कि तुम ही हो ? ना पहले हिम्मत हुई थी , ना तब हो रही थी । हमेशा की तरह बस ‘ गुड नाइट ‘ बोलकर सवाल टालने ही वाला था । पर तुमने कहा था- ‘ मुझे पता चल गया है । ‘ मैंने सोचा भी कभी नहीं था कि तुम्हें याद भी होगा । कौन याद रखता है 4 साल पुरानी बात ? ‘ मैं ही थी न ? ‘ तुम्हारे इस सवाल का क्या जवाब देता मैं ? . 4 साल हो गए थे तुम्हें शहर छोड़े । न जाने मेरे जैसे कितने आए – गए होंगे तुम्हारी लाइफ़ में तुम्हारे हां होने की ख़ुशी से ज्यादा मुझे न होने का डर था । ‘ हां , तुम ही थीं पर क्या हो सकता है अब ? तुम भी करती थीं ! बोलो ? ‘ ‘ आज पेपर है तुम्हारा , और इस वक्त सुबह के चार बज रहे हैं । सोना नहीं है क्या ? ‘ कहां ? यहां मैं अपने बरसों पुराने ख्वाब के सच होने का इंतजार कर रहा था और तुम सोने की बात करने लगी थीं ? ऐसे समय पर , ऐसी बात कोई लड़की ही कर सकती है । बार दे रहा हूं । हां या न ? इंजीनियरिंग के पेपर साल में दस बार देता हूं , प्यार का पेपर पहली बार देश रहा हूं । हां या न ?
हां , तुमने कहा था ।
हां मैं सब कहने जा रहा हूं मैं वो सब कुछ कह देना चाहता हूं । जो चार सालों से नहीं कह पाया । मुझे समझ नहीं आ रहा कैसे कहूं तुमसे , इसलिए अपने अथाह प्रेम को ‘ आई लव यू ‘ में समेट रहा हूं मुझे नहीं पता कि क्यूं प्रेम है तुमसे , बहुत बार वजह तलाशा पर कुछ भी हासिल न हुआ , जो कि मेरे नि:स्वार्थ प्रेम को दर्शाता है । तुम सुंदर हो , इसमें कोई दो राय नहीं और कमाल की बात है कि मुझे तुम्हारी सुंदरता से प्रेम नहीं हुआ यक़ीन मानो , मुझे तो मसलन तुमसे प्रेम है । हो सकता है तुम्हें ये बात खटकेगी कि बिना कोई संवाद हुए भी इतना प्रेम कैसे किसी को हो सकता है , जिसमें ख़ूबसूरती भी कोई मायने न रखती हो , मगर तुम्हारे मन में उठते ये सवाल प्रेम में वाजिब नहीं लगते , प्रेम तो बस यूं ही बेवजह हो जाता है । ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा , जो कहना था कह दिया । भले ही ख़्वाब हद के उस पार तक जरूर देखा है मैंने , मगर उम्मीदें हमेशा डगमगाती रही है , फिर भी मेरा ये आशावादी हृदय तुम्हारी प्रतिक्रिया का इंतजार करेगा । किसी की खुशी ही सब – कुछ है । इंसान हूं मैं भी , सबकी भावनाओं को समझता हूँ । हिचकिचाना मत , प्रतिक्रिया जरूर देना । और हां , तुम नहीं , तुम्हारा नाम तो साथ रहता है हमेशा मेरे और चाहता हूँ । तुम इस नाम को मुकम्मल कर दो …. •
——————रवि सिंह भारती————
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