आँखों की तेरे इतनी गहराई चाहता है
चार मिसरे
अल्लाह जाने अब क्या हरज़ाई चाहता है
अब और कैसे मेरी रुसवाई चाहता है
दिल डूब जाए इसमें बस देखते ही तुमको
आँखों की तेरे इतनी गहराई चाहता है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
चार मिसरे
अल्लाह जाने अब क्या हरज़ाई चाहता है
अब और कैसे मेरी रुसवाई चाहता है
दिल डूब जाए इसमें बस देखते ही तुमको
आँखों की तेरे इतनी गहराई चाहता है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)