मुंह ढकिये
कोरोना ने सब के मुँह ढक दिये। जैसे किसी को मुँह दिखाने लायक़ ही नहीं रहे। हमें हर काम अपने मुंह ढक कर करने हैं। इसपर एक नये क्लेवर की कविता आप भी पढ़िये।
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मुंह ढकिये
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मुंह ढकिये
और चलिये
मुंह ढकिये
और सोइये
मुंह ढकिये
और उठिये
मुंह ढकिये
और कहिये
मुंह ढकिये
और डरिये
मुंह ढकिये
और छलिये
मुंह ढकिये
और सहिये
मुंह ढकिये
और बचिये
मुंह ढकिये
और हंसिये
मुंह ढकिये
और जीये
मुंह न ढकिये
और मरिये
मुंह ढकिये
और रोइये
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राजेश’ललित’