मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें नमन।
मुंशी प्रेमचंद विश्व हिंदी साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार जिनकी कालजयी रचना गोदान,गबन,सेवासदन, निर्मला,रंगभूमि जैसे दर्जन से अधिक उपन्यास और कफन,पूस की रात,ईदगाह,दो बैलों की कथा,कफन जैसी तीन सौ से अधिक कहानियाँ हिन्दी साहित्य की बहुमूल्य धरोहर है। उनकी रचना में उस दौर की प्रमुख सभी समस्याओं का वर्णन मिलता है।आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता रही।साहित्य में दलित विमर्श का प्रारंभ संभवतः प्रेमचन्द की रचनाओं से ही हुआ। इसके साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के समय के सबसे बड़े कथाकार रहने के कारण इन्हें राष्ट्रवादी कथाकार भी कहा जा सकता है। विचारों से वह मानवतावादी भी थे और मार्क्सवादी भी। प्रगतिवादी विचारधारा के कारण उन्हें हिन्दी साहित्य का प्रथम प्रगतिशील लेखक भी कहा जा सकता है। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक सभी विचारों को अपने साहित्यिक परिधि में समेटने का प्रयास किया।
आज उनकी जयंती पर उन्हें नमन।। 🙏