मुंशी प्रेमचंद, एक प्रेरणा स्त्रोत
मुंशी प्रेम चंद, प्रेरणा स्त्रोत।
हिंदी लेखन के अद्वितीय सूर्य, कलम के धनी , कहानी सम्राट प्रेमचंद जी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे ।भाव प्रवण लेखनी ,आदर्शवाद ,यथार्थवाद और प्रगतिशील लेखन के अग्रणी समन्वय क श्री प्रेमचंद जी ने कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण जनमानस से पीडि़त ,दलित और मजलूम किसानों का किया है। जबकि प्राचीन साहित्य चाहे वह भक्तिकाल, रीतिकाल एवं वीर रस काल के कवि हों या लेखक सबने राजवंश के चरित्र चित्रण को प्राथमिकता दी है ,मुख्य पात्र बनाया है। श्री प्रेमचंद जी के मुख्य पात्र होरी (गोदान) हों या ईदगाह के हमीद सभी चरित्र चित्रण में मुख्य पात्र ने अभावों में जीना सीखा है ,एवं, अपने चरित्र को भरपूर जिया है, एवं सार्थकता प्रदान की है। इसीलिए आज भी वे शाश्वत सत्य है,और वर्तमान समय में जीवित हैं ।श्री प्रेमचंद जी की लेखनी कालजयी, शाश्वत सत्य , हृदयस्पर्शी व मार्मिक है। यह चिंतन का विषय है कि उनकी लेखनी का विषय कार्ल मार्क्स से प्रभावित है ,या समाज के यथार्थ से। किंतु जो भी है सास्वत सत्य है। मुख्य पात्र में आया यह बदलाव अत्यंत हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक है। यह सत्य है की चिकित्सकों पर पाश्चात्य सभ्यता का अभूतपूर्व प्रभाव भूतकाल से ही रहा है ।वेशभूषा चरित्र एवं बोलचाल सब कुछ पाश्चात्य सभ्यता से प्रेरित रहा है ।अतः प्रेमचंद जी की कहानियों में उनका चित्रण यथार्थ ही है। इसमें मुझे कोई संकोच नहीं है यह कहने में कि लेखक भी चिकित्सक होने के नाते पाश्चात्य संस्कृति वाहक है । क्योंकि समाज में तभी वह स्वीकार्य है , सफल है ।प्रेमचंद जी का सफल दांपत्य जीवन एवं गरीबी में जीवन यापन आज भी चिंतन का विषय है ।माँ सरस्वती का वरद पुत्र आज भी चिंतन का माध्यम हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में श्री प्रेमचंद जी का लेखन साहित्य आज भी प्रेरणा स्रोत है, राजनेताओं के लिए ,समाजसेवियों के लिए और धार्मिक गुरुओं के लिए। समाज के आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक कट्टरता में सरलता सुगमता आना आवश्यक है। यही प्रेमचंद जी की लेखनी का उद्देश्य है।तभी हम प्रेमचंद जी की जयंती पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाएंगे।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम