मील का पत्थर
समय व नियति का दौर
कुछ ऐसा चल रहा है,
यथार्थ-
पागल करार दिया गया है
फिर भी,
संसार ऐसे ही पागलों
की अनचाही कब्रों पर
अपनी नींव रखे हुआ है.
यह विचित्र दौर
कबतक चलेगा ?
अंधकार पर
प्रकाश की विजय
कब यथार्थ में परिणित होगा.
यह चिंता
और चिंतन का बिंदु है
चिंता इसलिए-
यथार्थ पागल करार दिया गया है
चिंतन इसलिए-
पागलपन के लिए कौन जिम्मेदार है ?