मीरा के घुंघरू
लोग छुपाते हैं क्यों सबसे
इसे बदनामी की तरह
भरी सभा में आंख में आते
हुए पानी की तरह…
सारी लक्ष्मण रेखाएं लांघकर
अपने पैरों में घुंघरू बांधकर
वह प्यार ही क्या जो नचा दे
ना मीरा रानी की तरह…
मेरा दिल टूटा भी तो क्या हुआ
मेरा चैन लुटा भी तो क्या हुआ
मैं मातम मनाऊं क्यों इसका
किसी नाकामी की तरह…
जैसे कांटों में हंस कर चलती रही
जैसे आग में ज़िंदा जलती रही
मैं प्याला विष का भी पीऊंगी
एक दीवानी की तरह…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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