मीरा के कन्हैया
जपूँ मैं तुम्हारा नाम, सुबह और शाम
हे मीरा के कन्हैया, हे राधा के श्याम।
तुमने यह खूबसूरत सा संसार बनाया,
अपनें भक्तों पर है तुम्हारी ही माया,
हे गिरधारी गोपाल मैं आया तेरे धाम,
अपने शरण में लेलो तोहे करूँ प्रणाम,
जपूँ मैं तुम्हारा नाम, सुबह और शाम
हे मीरा के कन्हैया, हे राधा के श्याम।
बीच सभा द्रोपदी की लाज बचाई,
जल बीच गजराज की जान बचाई,
विष पीकर मीरा जपे बस तेरो नाम,
तू भक्तों की सुधि ले हे कृपा निधान,
जपूँ मैं तुम्हारा नाम, सुबह और शाम
हे मीरा के कन्हैया, हे राधा के श्याम।
तेरी माया तू ही जाने हे पालनहार,
फेर दे नज़र मुझ पर कर दे तू उद्धार,
तू ही तो आग़ाज़ है तू ही है अंजाम,
मैं अबोध बालक हूँ, तू है पिता समान,
जपूँ मैं तुम्हारा नाम, सुबह और शाम
हे मीरा के कन्हैया, हे राधा के श्याम।
??मधुकर??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
जमशेदपुर, झारखण्ड।