” मीनू की परछाई रानू “
खून की बूंद जब पली
मेरे पाक, निर्मल गर्भ में
मीनू की ही परछाई रानू
बिठाऊं हृदय के दर्भ में,
पापा की आखों का तारा
ना ही कभी रूठना जाने
कोमल मन से हमें लुभाती
रोमी को तो लाड़ला माने,
बाली उम्र में भी है स्यानी
भावनाओं का अथाह सागर
जज़्बात मेरे तूं ही तो जाने
घर में भरती हर्ष का गागर,
सबसे प्यारी दोस्त मम्मी की
परिस्थिति मेरी तूं समझ जाती
सारी बातें मेरी ध्यान से सुनती
दुःखी मुझे देख नयन भर लाती,
कोशिश करती मदद करने की
मेरी ममता का मोल समझती
अनमोल धरोहर मेरे जीवन की
सत्कर्मों से सीना गर्वित करती,
जानवरों का साथ भाए तुझको
नित नई कला में हाथ आजमाती
पाकर तुझको तो स्वर्ग पा लिया
खुशकिस्मत हमें महसूस कराती।
Dr.Meenu Poonia