“मीनू की कुर्सी”
“मीनू की कुर्सी”
अलग अलग डिजाइन की बनती
भिन्न भिन्न धातु का होता प्रयोग
युगों युगों से युद्ध हुए इसके लिए
कुर्सी नाम से इसे जानते हैं लोग,
सबको चाहिए मखमली नर्म कुर्सी
देखें वहीं छिड़ी कुर्सी की लड़ाई
वर्चस्व का उत्तम आधार है यह
इसने हर वर्ग में तू तू मैं मैं कराई,
कुर्सी के पीछे दौड़ रहा हर मानव
देखें वहीं दिखें आखें तमतमाई
आम जन को विधायकी लगे प्यारी
विधायक ने कुर्सी सी एम वाली चाही,
भाई को चाहिए बड़े भाई वाली कुर्सी
पत्नी को कुर्सी पति वाली रास आई
हर प्राणी की लालसा बॉस की कुर्सी
शुकून वाली कुर्सी मीनू के मन भायी।