मीत मिले कृष्णा जैसा
मुझे मीत मिले कृष्णा के जैसा,
निर्मल प्रेम मिले राधा रानी के जैसा।
सास्वत भाग्य मिले रुक्मिणी
के जैसा,
तो जीवन मे दुःख काहें का।
भक्ति मिले हनुमानजी के जैसा,
सुमिरण करूँ दिन -रात हरि का।
मिले भाई भरत के जैसा,
जिसे लोभ नही राजगद्दी का।
पुत्र मिले रामजी के जैसा,
जो मान रखे पिता के वचनों का।
संगत मिले हमेशा संतो की,
जिनसे ज्ञान मिले सत-पथ पर
चलने का।
शक्ति मिले माँ दुर्गा के जैसा,
उन्मूलन कर सकूं अपने मन के
विकारों का।
ओज मिले भगवान शंकर के
जैसा,
जिनसे सीख मिले सरल जीवन
जीने का।
(स्व रचित)….आलोक पांडेय गरोठ वाले