मीडिया
मीडिया अब,
धीरे-धीरे मर रही है।
बिना संकोच
बेहयाई से,
मीडिया अब,
गोंद में बैठने लगी है
उनके
जो पवित्र लोकतंत्र के अस्तित्व को ललकारते हैं
दुत्कारते हैं
और पग-पग पर चुनौती देते हैं ।
मीडिया अब,
मर रही है बेमौत
वह परोसने लगी है
किसी की पकाई हुई
चटपटी, बेरहम खबरें
और चौथा स्तंभ
भरभराने लगा है।
मीडिया अब
मंडी हो गई है,
और चतुर क्रेता
अपने हिसाब से
बोली लगा रहा है,
कोई खेला रहा है इसे
ब्लूव्हेल की कुचर्चित क्रीड़ा
और अंततः
मीडिया
इस अंध क्रीड़ा में
आत्महत्या कर लेगी ।
समय है
समझने का
आत्ममंथन करने का
और अपने को
भाड़े की गोंद में
बैठने से
रोकने का।