मीडिया की फनकारी
मेरे ख़ैर-ख़्वाह ने अभी-अभी
सुनाया फ़रमान सरकारी है
तुम कलम से मत खेलो ऐसे
अरे, यह तलवार दोधारी है…
(१)
जो अवाम का मर्सिया नहीं,
हुक्मरान का कसीदा गाए
शायर या ख़बरनवीस नहीं,
वह तो गायक दरबारी है…
(२)
मानवता का एक क़ातिल भी
आज मसीहा लगता है सबको
और कुछ नहीं यह, मेरे दोस्त
भांड मीडिया की फनकारी है…
(३)
अपनी मर्ज़ी से रह न सकें
आंखों देखा सच कह न सकें
देश के दानिश्वरों के लिए
इतनी भी क्या लाचारी है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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