मीठी वाणी
मीठी वाणी रिश्ते जोड़े।
कर्कश वाणी रिश्ते तोड़े।।
मीठी वाणी प्रेम बढ़ाती।
कर्कश वाणी क्रोध दिलाती।।
मीठी वाणी सुख की दाता।
मानव सब कुछ इससे पाता।।
कर्कश वाणी कष्ट बढ़ाए।
बैर भाव को हिय उपजाए।।
मीठी वाणी देवा रखते।
प्रेम भोग हैं जग का चखते।।
कर्कश वाणी रखते दानव।
दूरी इनसे रखता मानव।।
ओम सदा ही मधुमय बोले।
भाव प्रेम का जग में घोले।।
कर्कश वाणी रखता दूरी।
कहे इसे रिश्तों की छूरी।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम