Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

मीठा सीधा सरल बचपन

*मीठा,सरल,सीधा बचपन
बच्चे थे तो अच्छे थे
आसमान से भी ऊंचे सपने थे
दादी,नानी से किस्से सुनते थे
वीरों के पराक्रम और
महापुरूषों प्रेरक प्रसंग
नैतिकता का देते परिचय
बन जीवन का प्रेरणास्रोत
उन जैसा बनने को करते प्रेरित …..
स्वर्ग से अप्सराएं आती थीं
*परियां जादू की झडियों
से मन की मुरादी बातें पूरी करती थीं
चंदा को मामा कहते थे
पक्षियों की तरह चहचहाते थे
ऊंची -ऊंची उड़ाने भरते थे
खेलकूद ही अपना जीवन था
भविष्य तो बड़ों का सपना था
दोस्ती भी खूब निभाते थे
कट्टी-अप्पा से रूठते मनाते थे
बचपन में बड़प्पन दिखाकर
सबको खूब हंसाते थे
सबके मन को भाते थे
शायद तब हम सच्चे थे
अक्ल के थोड़े कच्चे थे
पर बच्चे थे तो अच्छे थे
मैं मुझमें मेरा बचपन बेफिक्र
होकर जीवन भर जीना चाहता हूं*

143 Views
Books from Ritu Asooja
View all

You may also like these posts

" यादों की शमा"
Pushpraj Anant
वो कली हम फूल थे कचनार के।
वो कली हम फूल थे कचनार के।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
Dr Archana Gupta
3482.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3482.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
नयी कविता
नयी कविता
प्रदीप कुमार गुप्ता
हे पुरुष ! तुम स्त्री से अवगत होना.....
हे पुरुष ! तुम स्त्री से अवगत होना.....
ओसमणी साहू 'ओश'
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
Ravi Prakash
दोहा पंचक. . . . दिन चार
दोहा पंचक. . . . दिन चार
sushil sarna
********* बुद्धि  शुद्धि  के दोहे *********
********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
" रतजगा "
Dr. Kishan tandon kranti
फिर न आए तुम
फिर न आए तुम
Deepesh Dwivedi
अंजाम
अंजाम
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
...... तड़प उसकी.......
...... तड़प उसकी.......
Mohan Tiwari
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
पूर्वार्थ
लेखक
लेखक
Shweta Soni
त्रिलोकीनाथ
त्रिलोकीनाथ
D.N. Jha
उलझन
उलझन
Sakhi
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
जय हनुमान
जय हनुमान
Neha
पी जाता हैं प्यास भी, .....मेरी वो हर बार ।
पी जाता हैं प्यास भी, .....मेरी वो हर बार ।
RAMESH SHARMA
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
खालीपन
खालीपन
करन ''केसरा''
गजल
गजल
जगदीश शर्मा सहज
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
बाण माताजी के दोहे
बाण माताजी के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Loading...