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10 Feb 2024 · 1 min read

मीठा सीधा सरल बचपन

*मीठा,सरल,सीधा बचपन
बच्चे थे तो अच्छे थे
आसमान से भी ऊंचे सपने थे
दादी,नानी से किस्से सुनते थे
वीरों के पराक्रम और
महापुरूषों प्रेरक प्रसंग
नैतिकता का देते परिचय
बन जीवन का प्रेरणास्रोत
उन जैसा बनने को करते प्रेरित …..
स्वर्ग से अप्सराएं आती थीं
*परियां जादू की झडियों
से मन की मुरादी बातें पूरी करती थीं
चंदा को मामा कहते थे
पक्षियों की तरह चहचहाते थे
ऊंची -ऊंची उड़ाने भरते थे
खेलकूद ही अपना जीवन था
भविष्य तो बड़ों का सपना था
दोस्ती भी खूब निभाते थे
कट्टी-अप्पा से रूठते मनाते थे
बचपन में बड़प्पन दिखाकर
सबको खूब हंसाते थे
सबके मन को भाते थे
शायद तब हम सच्चे थे
अक्ल के थोड़े कच्चे थे
पर बच्चे थे तो अच्छे थे
मैं मुझमें मेरा बचपन बेफिक्र
होकर जीवन भर जीना चाहता हूं*

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